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इच्छा, इच्छुक ऐसे जैसे जंगें और शस्त्र, इच्छुक की इच्छा होती है बहुत ज़रूरी, पर | गर इच्छुक न करे ख़्वाहिश युद्ध कभी न होता, टंगे दीवारों पर रहते हैं अस्त्र-शस्र तब घर ||
प्यासा मन तो बन जाता है फौलादी औज़ार , खोजी खोजें खोज खोज कर जान खुरदुरी कर | इसी तरह फिर सच्चे खोजी ढूंढे जीवन-सार , प्यास बुझाते और बनवाते वह फौलादी घर ||
इच्छाओं का त्याग करूँगा, प्रण किया अक्सर, इसी तरह यह प्रन भी मेरा है तो इच्छा, पर | अर्थ यह गहरे शब्दों के, मकड़जाल हैं बनते, घर को जब त्यागो तब बनती यही लालसा घर ||
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