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कहे वेदना कलाकार से सुन मेरे मित्र , निपट अकेली रेखाओं से बना रहा चित्र। तेरे चित्रों में जीवन की रंगत तब झलकेगी , जब मेरे हित खाली रखोगे तुम मन का घर ||
मुहम्मद,मरियम, महावीर और सिखों के सतगुर ईसा,बुद्ध, लाओत्से, मोजिज रूहों के डॉक्टर | पीड़ा छलनी करे कलेजा कोई दवा नहीं देता , कई लुकमान बने बैठे है अपने-अपने घर ||
तेज़ बहुत है तेज़ बहुत है तेज़ बहुत खंजर खून हुआ हाँ खून हुआ हाँ खून हुआ भयंकर | चीर दे चाहे चीर दे पर अब रहा ना जाए अकेला , मरना है तो मरना मुझको आके तेरे घर ||
एक टुकड़ा मैं रोटी मांगू सोने से बस नुक्कड़ , इक पल मांगू मुस्काने को , इस धरती के ऊपर | रोने का एक पहर मैं मांगू , लोटा एक शराब, ओक से रह-रह पीड़ा चलके , यही है जीवन घर ||
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