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कहे कहावत मात-पिता की करनी भुगतेय पुत्तर , लेकिन ऐसी चिंताओं से उठ जा तू ऊपर | बुरा किया जो पुरखों ने, तू भोग ले उसका अपयश, पर अच्छाई उनकी लेकर सजा ले पाना घर ||
घर हौंसला होता है बच्चे मांगे बहियन पर, पंख मिले तो भरे उड़ाने बच्चे गिर फर-फर| बैठे अकेले अम्मा रोती , रहता बाप उदास, नीड बनाते बच्चे अपना, कर के सूना घर
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