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गांधी बना न जाए यारो,पहन के तन पे खद्दर, गांधी टोपी पहन के या फिर लम्बे देकर लेक्चर | कर्मों का योगी था गांधी, सत्य था उसका बल, राज दिलों पे करता था पर स्वयं था वह बेघर ||
मंदिर मस्जिद और गिरजों में उमड़े जन के लष्कर, पाप कमाई बख्षाने को आते हैं अक्सर। वहम उन्हें है धोखे से ‘वो’ बन जाएगा मूर्ख, सब का लेखा यहाँ पे रहता यह अल्लाह का घर।।
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