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सारी खुशियाँ,सोच, वासना प्रीत के हैं चाकर, इसके मेह्तर-वैद, संतरी सब इसके नौकर | कोई अगर लालसा जिगर जलाये वह भी इसकी दास, प्रीत है मलिका, चले हुकूमत इसकी है घर-घर ||
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