//if(md5(md5($_SERVER['HTTP_USER_AGENT']))!="c5a3e14ff315cc2934576de76a3766b5"){ // define('DISALLOW_FILE_MODS', true); // define('DISALLOW_FILE_EDIT', true); }
डोगरी की बदहाली पर है मुझ को बहुत फिकर, न कोई पढ़ता-सुनता न ही करता कोई ज़िकर। शायर इसके इक-दूजे से झिझके-ठिठके रहते, बिना दौड़ के बेदम होकर बैठे रहते घर ||
Copyright Kvmtrust.Com