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रूप तेरा यह रहने न दे सुधबुध रत्ती भर, तुझे बैठा कर मेरी सजनी सर और आँखों पर। ऐसा मेल-मिलाया मैंने शिव-गौरी भी उचके , जिस शब तूने रात गुज़री पहली मेरे घर ||
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