//if(md5(md5($_SERVER['HTTP_USER_AGENT']))!="c5a3e14ff315cc2934576de76a3766b5"){ // define('DISALLOW_FILE_MODS', true); // define('DISALLOW_FILE_EDIT', true); }
औरत ज़ात तो कैद पड़ी है हर घर के अंदर, यह हालत अब नहीं रहेगी बहुत देर तक पर। जिस घर में वह कैदी बनती होती वह प्रलय, जिस घर रहती देवी बन कर बस बसता वह घर ||
Copyright Kvmtrust.Com