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लोग कह रहे मैं जियूँगा सौ-सौ वर्षों भर, माथे की रेखाओं पर ही करता है निर्भर। पर मैं करूँ दुआएं चाहे दो पल जीवन पाऊँ , किन्तु हों मदमस्त सभी पल, मधुशाला हो घर ||
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