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सपनो के आकाश में साथी नीचे तनिक उतर , हाथ सलामत तेरे इनसे काम ज़रा तू कर | बिन उद्यम के सपने तो साकार नहीं है होते , पुरुषार्थ साकार है करता सपनो वाला घर ||
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