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रूप नहीं मरता है हरगिज़ रहता है सदा अमर , चोला एक त्याग के पहने दूजे यह ‘बस्तर’ | माँ मृत्यु के बाद भी बेटी-रूप में जीवित रहती, रूप बदलता रहता ऐसे रहने हेतु घर ||
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