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छोटे मन की लघु उड़ाने, बड़ों का ऊँचा अम्बर, छोटे दर्द के छोटे मरुस्थल बालू ज़रा सा भीतर। पीड़ा बड़ी के लिए चाहिए दिल भी बहुत विशाल , हर इक वस्तु माँगे अपने लिए मुनासिब घर ||
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