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जीवन तरसायेगा, कुचलेगा कब तक आखिर, मई वियोगी ज़िद है मेरी अड़ियल ज्यों खच्चर | चाबुक खून चुभन सहूँ पर न छोडूं यह ज़िद , घर बनाने आया हूँ तो,निश्चित बनेगा घर ||
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