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मूढ़ ‘वियोगी’ क्या करता है राजपूत-पुत्तर, फौजी नौकर होकर काते कविता का सूत्तर | पंडितों वाला कार्य कर रहा कहता जा रे जा, सुर की, लय की जात न कोई, रख जातियां घर ||
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