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नक़्शे सोचो, रूप विचारो सुन्दर घर के, पर, अपना नाम लिखा लो चाहे ईंट-ईंट ऊपर | खूब सजाओ खूब संवारो इसका कोना-कोना, लोग देख कर बरबस बोलें, कितना सुन्दर घर ||
आँख हिरनिया भवें कमानी काजल है नश्तर, तेज़ कटीले तीर नज़र के छोड़ मेरी खातिर | होंठ तुम्हारे नारंगी से दांत मखाने से , तू आई तो स्वर्ग बना है भाग-भरा है यह घर ||
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