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समझ गणित न आए इसमें कितने हेर और फेर, डैडी आप दिला दो मुझ को स्वयं एक कंप्यूटर। टीचर खुद ही परेशान है देख के गणित नया , बोलें- जाओ नालायकों सीखो जा कर अपने घर ||
शालू बीटा गोपी बनती तू लेकर गागर, ‘गिद्दा’ गाती, एक्टिंग करती, और बनती एक्टर। मेहनत से पढ़- लिख कर तू भी सीख ले थोड़ी हिंदी , मानोगी जो ये सीख मेरी फिल्म बनाएंगे घर ||
रश्मि बेटे तू खाती है चीनी और शक्कर, सुन तू मेरी, तुझे बताऊँ जीवन का इक गुर | तेरी मीठी-नर्म तबीयत और तेरा यह हठ, इन्हीं में अनुरूप रचोगी मन-मर्ज़ी का घर ||
पूनम बेटी बात सुनो तुम तनिक कान धार कर, जान लो , कोई जान सका न किस्मत का चक्कर| जो होना है, हो जायेगा, जाने कौन क्या होगा, तेरे भाग में क्या बताऊँ लिखा है किसका घर ||
बहुत ही सुन्दर और बहादुर शेरों में बब्बर, मगर शेरनी बच्चे पाले ठांव-ठांव जाकर | शेर तनिक न बने सहायक काहे का वनराज, निज-हितकारी गृह-स्वामी का घर निकम्मा घर ||
वे योद्धा थे, ज़ालिम थे वे सब है मुझे खबर , ज़ुल्म किये मेरे पुरखों ने कैसे बेटियों पर | वंशावली दिखाते अपनी होती मुझे ग्लानि , धिक वीरता, दफनाते नवजात बेटियां घर ||
खीझ न मेरी अम्मा न तू ऐसे रूठा कर , बतलाता हूँ कहाँ रहा मई फिरता यूँ आखिर | एक गौरेया घर थी बुनती उसको झाड़ा हैरान , रहा देखता देर लगी यूँ मुझे लौटते घर ||
एक ज़िद्दी और चंचल बालक चढ़ा जो पीपल पर , अम्मा जा तू, न लौटूंगा साँझ ढले तक घर | ठोकर लगी जो अनजाने में हुआ वह लहूलुहान , ज़ोर ज़ोर से रोते बोला ले चल अम्मा घर
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