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ढोली ढोल बजा कर कहता कर ले तू ‘जातर’, संग मसान के खेल-कूद ले नाच ताल के ऊपर | मैं तो डग-डग थाप लगाऊँ, जो भी मन को भाए, नाच ले , या अनमना बैठ धुन्धुआता रह तू घर ||
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