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प्रीत लड़ी जो टूटे उसमें गांठ लगा ले, पर, धागा फिर भी जुड़ है गांठ ना जाए पर | कड़वे बोल लगाते आए दिल पे गहरे घाव , दुःख की बारिश में निश्चित ही टपके ऐसा घर ||
मेरे प्यार को नज़र लगाती देखे देखे बितर-बितर , दुनिया मुझको कुचल-कुचल कर करती है गोबर | मैं गोबर यह लेकर अक्सर लेपूं वो दीवार , जिस जगह पे टंगी है तेरी फोटो मेरे घर ||
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