//if(md5(md5($_SERVER['HTTP_USER_AGENT']))!="c5a3e14ff315cc2934576de76a3766b5"){ // define('DISALLOW_FILE_MODS', true); // define('DISALLOW_FILE_EDIT', true); }
Back to Sonnets
जीवन दिया मुझे ब्रह्मा ने, पर जीवन देकर, सोच रहा है इसको भाते धरती और अम्बर | सोच रहा हूँ उससे क्या मैं वाद-विवाद में उलझूं, ब्रह्मा मस्त है अपने घर में, मैं व्याकुल अपने घर ||
Copyright Kvmtrust.Com