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हम आये थे इस दुनिया में बिन दौलत बिन ज़र , उम्र बिताई चिंताओं में रहे काँपते थर-थर। अंत में सत्य समझ यह आया सोच है यह बेकार , पुरखे गए, तो हम भी आखिर छोड़ेंगे यह घर ||
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