//if(md5(md5($_SERVER['HTTP_USER_AGENT']))!="c5a3e14ff315cc2934576de76a3766b5"){ // define('DISALLOW_FILE_MODS', true); // define('DISALLOW_FILE_EDIT', true); }
मुझे खेद है क्यों उपलब्ध न मदिरा का सागर, क्यों नहीं गुल्ली-डंडा? क्यों न चिड़िया की चूर-मुर | इन कष्टों में डूबे मुझको याद सताए तेरी , फिर सोचूँ सब ठीक है जब तक तुम हो मेरे घर ||
Copyright Kvmtrust.Com