//if(md5(md5($_SERVER['HTTP_USER_AGENT']))!="c5a3e14ff315cc2934576de76a3766b5"){ // define('DISALLOW_FILE_MODS', true); // define('DISALLOW_FILE_EDIT', true); }
प्रेम की किसने थाह है पाई प्रीत गहन-सागर, नफ़रत की पैमाईश भी न आसां होती पर। इतना भेद तो इनका समझ में सबके आता है, नफ़रत घर को तोड़े लेकिन प्रीत बनाती घर ||
Copyright Kvmtrust.Com