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एक ज़िद्दी और चंचल बालक चढ़ा जो पीपल पर , अम्मा जा तू, न लौटूंगा साँझ ढले तक घर | ठोकर लगी जो अनजाने में हुआ वह लहूलुहान , ज़ोर ज़ोर से रोते बोला ले चल अम्मा घर
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