//if(md5(md5($_SERVER['HTTP_USER_AGENT']))!="c5a3e14ff315cc2934576de76a3766b5"){ // define('DISALLOW_FILE_MODS', true); // define('DISALLOW_FILE_EDIT', true); }
एक दफा मैं निपट अकेला गया था सन्नासर , चुम्बक जैसे कोई खींच लोहे को ऊपर | सर इसका सूखा है लेकिन सुन्दर सहज नज़ारा, अगर कहीं तौफीक हुई तो यहाँ बनाऊंगा घर ||
Copyright Kvmtrust.Com