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एक टुकड़ा मैं रोटी मांगू सोने से बस नुक्कड़ , इक पल मांगू मुस्काने को , इस धरती के ऊपर | रोने का एक पहर मैं मांगू , लोटा एक शराब, ओक से रह-रह पीड़ा चलके , यही है जीवन घर ||
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