एक तो आँख लगे न ऐसी लगी नज़र , दूजा, भू-भू करके काटे उस पे है मछर | लेटे-लेटे सोच रहा हूँ , क्यों लेटा हूँ मैं , क्यों न मैं भी मछर बन कर जाऊँ उसके घर ||
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