इच्छा, इच्छुक ऐसे जैसे जंगें और शस्त्र, इच्छुक की इच्छा होती है बहुत ज़रूरी, पर | गर इच्छुक न करे ख़्वाहिश युद्ध कभी न होता, टंगे दीवारों पर रहते हैं अस्त्र-शस्र तब घर ||
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