छड़ी बलूत की हाथ में मास्टर जी आते लेकर, हमने सबक न याद किया है हम तो है निडर | घर पहुंचो तो याद न रहते मास्टर और स्कूल, नयी ही दुनिया हो जाती है अपना कच्चा घर ||
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