बादल तुमसे अर्ज़ है इतनी बरसो तुम खुल कर, बाहर साजन जा न पाएं छोड़ के मुझ को घर | पर जो उसे लौटना घर हो रुक जाना पल भर, अटक न जाये कहीं, राह में, पहुँचे सीधे घर ||
Copyright Kvmtrust.Com