घर होता है धर्म का मंदिर, मंदिर प्रेम का घर, मंदिर धर्म का घर होता है-घर प्रेमिल मंदिर। प्रेम और घर समधी होते हैं मंदिर प्रेम भी समधी, प्रेम-प्यार से धर्म निभा कर मंदिर बनता घर ||
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