जीना दूभर हो जाए जब बन जा तू निडर , हिम्मत टूट गई तो समझो रहे न खोज-ख़बर। काम पे जाते बेटे को यह कहती निर्धन माँ, लौट के तुम आ जाना बेटा अपनी माँ के घर ||
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