नहीं हो एक इकाई , मात्र हो तुम एक सिफर, गांठ-बांध ले बात यह मेरी करता चल सफर | राशि बनती एक इकाई शुन्य जो संग जुड़े , शुन्य अकेला उसकी तरह जिसका कोई न घर ||
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