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जब भी काँपे रूह तुम्हारी जपता जा हर-हर , अल्लाह-अल्लाह राम-राम कोई भेदभाव न कर | सच्चे मन से जो सोचोगे पूरी होगी बात, जिसमें चित्त लगाओ, वही रूह का घर ||
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