नहीं बहा तू आँसू अविरल काँप नहीं थर-थर, तू ना जाने डर है किस का – अजब है तेरा डर | जग का अपना रोना, तेरा अपना है रोदन, तू अपने घर बैठ के रोता दुनिया अपने घर ||
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