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मंदिर-मस्जिद मैं न जाऊँ, इन्सां मैं अक्खड़ , हिन्दू समझे नास्तिक हूँ मैं मुस्लमान काफ़िर। नाम वियोगी इश्क़ हुआ है मुझको कविता संग , इसी लिए कविता देवी को पूजन अपने घर ||
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