हल जोत के हठ और नरमी बन जा तू हलधर , खुले खेत में हल चला ले बन कर मस्त-कलंदर | बीज प्रेम का क्यारी-क्यारी , पंक्ति-पंक्ति बो ले , नेक सुहानी फसलें काट के भर ले अपना घर ||
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