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अगर देखनी चाहो लीला प्रेम की , बनो निडर, डरते-डरते कदम न रखना प्रेम के इस मंदिर | लाज प्रेम की रखनी है तू इसे लहू से सींच , प्यार खून से रंगे न जब तक बनता नहीं है डर ||
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