न आते न बुलाते न चिट्ठी- पत्तर , हाल- हवाल न पूछें न ही लेते कोई खबर | मैं लजालू क्या बतलाऊँ, कितनी उनकी चाह, स्वाद खून का लगा शेरनी भूखी रखी घर ||
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