हो अगर ना दिल मानव का निर्भय और निडर , तो मानवता खतरे में है मुझको लगता डर | किस खातिर यह घर-चौबारे, लुटे जो अपनी लाज, तोड़ो ऐसे महल-मीनारे , फूंको ऐसे घर ||
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