मानव के कर्मो का लेख होता है आखिर, स्वर्ग के मुंशी तब कहते है प्राणी देर न कर| जितनी देर करो वो उतनी ‘सुरगी घटाते , सो बेहतर है रोज़ बैठकर लेखा करले घर ||
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