मेरा भाग्य सराह रहा वो हाथ की रेखा पढ़ कर, फीस भरो तो बतलाता हूँ किस्मत का चक्कर | दिल करता है कह दूँ पंडित अपना भाग्य सम्भालो, फिर सोचूं कुछ चुग्गा लेकर उसे भी जाना घर ||
Copyright Kvmtrust.Com