जो बेघर हैं उनके हित में इस दुनिया अंदर , अपना नहीं ठिकाना कोई ना ही अपना दर | करें चाकरी घर-घर जा कर जमा करें दौलत , आशा है तो केवल इतनी हो अपना भी घर ||
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