वह कहती महके है तन मेरा होंठ मेरे शक्कर, उस पर मुझे यकीन तभी करूँ उसका मई ज़िक्र। पूछ न मुझसे कैसे उसको इसका मिला सुराग, क्या बतलाऊँ इक दिन चोरी मिला मुझे था घर ||
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