प्रीत लड़ी जो टूटे उसमें गांठ लगा ले, पर, धागा फिर भी जुड़ है गांठ ना जाए पर | कड़वे बोल लगाते आए दिल पे गहरे घाव , दुःख की बारिश में निश्चित ही टपके ऐसा घर ||
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