अपने आप को समझ रहा था मैं बहुत बहादुर, अकड़ गया सब तोड़, हवा का इक झोंका आकर | तन के नॉट का छुट्टा लेने निकला मैं बाजार , नॉट वह मेरा जाली निकला उजड़ा मेरा घर ||
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