रश्मि बेटे तू खाती है चीनी और शक्कर, सुन तू मेरी, तुझे बताऊँ जीवन का इक गुर | तेरी मीठी-नर्म तबीयत और तेरा यह हठ, इन्हीं में अनुरूप रचोगी मन-मर्ज़ी का घर ||
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