कब से आतुर बैठा हूँ मै तुझसे नेह लगाकर, और विलग न रह पाउँगा दशा हुई कातर | मुझे बता प्रियतमा ऐसे प्रेम निभेगा कब तक , छोड़ विछोह , आ चलो बनाएँ रास्ता-बस्ता घर ||
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