छोटे बड़े हकूमत कर न पाते हैं इस पर , डाँटो लाख इसे जितना यह माने नहीं मगर। यह मतिहीन मूढ़ है इसके दास बड़े व छोटे , प्रेम की खातिर ऋषि-मुनि भी हुए बहुत बेघर ||
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