मुझे न भाएँ पौंड और रूबल खीचें न डॉलर , नहीं दासता करूँ किसी की मानूं न आर्डर। मैं डुग्गर का वासी सह सकता हूँ भूख व प्यास, देश बेच कर कभी बनाऊंगा न अपना घर ||
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