किस्मत चांस बराबर देती रखती न अंतर ,
लोग कहें सब ज़ालिम इसको मैं न मानूं पर |
जिसमे जितनी सकत है आगे उतने पाँव बढ़ाता ,
जिसकी जितनी पहुँच है इतना ऊँचा उसका घर ||
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